लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८- श्रेय

१६- ननद - भाभी का प्यार

ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा खुला और श्रेया भाभी को श्रवन भाई का हाथ छुड़ाकर अंदर ले जाया गया ।भाभी के चेहरे पर डर के भाव स्पष्ट दिखाई दे रहे थे। वह दर्द से तड़पते हुए चिल्ला रही थी, कि कृपया मेरे पति को अंदर आने दो। उनको मेरे साथ रहने दो। परंतु ऑपरेशन थिएटर के नियम के अनुसार वह किसी परिवारी व्यक्ति को अंदर नहीं ले जा सकते थे। आखिर में श्रवन का हाथ छोड़कर श्रेया को अंदर जाना पड़ा। ऑपरेशन थिएटर में अंदर जाते-जाते श्रवन ने श्रेया के सर पर हाथ फेर कर भरोसा दिलाया, कि सब कुछ ठीक हो जाएगा और अभी थोड़ी देर में ऑपरेशन के बाद हम अपने बच्चे के साथ होंगे। श्रेया का स्ट्रेचर ऑपरेशन थिएटर में अंदर जाते ही ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा बंद हो गया। और श्रवन बाहर खड़ा हाथ जोड़कर प्रभु से प्रार्थना करता हुआ रो रहा था। दो घंटे बाद ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा खुला,तो डॉक्टर के मुंह पर कोई खुशी का भाव नहीं था। डॉक्टर का मुंह देखते ही श्रवन को समझते देर न लगी कोई तो परेशानी है। उन्होंने श्रवण को बच्चे के जन्म की बधाई दी, और अपने कमरे में आने को कहा। श्रवन डॉक्टर के कमरे में गया, तब डॉक्टर ने श्रवण को श्रेया की गंभीर हालत के बारे में बताया। और कहा- कि जब तक श्रेया को होश नहीं आ जाता, तब तक हम कुछ नहीं कह सकते हैं। अब सभी को इंतजार था तो श्रेया के होश में आने का। बहुत इंतजार करने के बाद और डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बाद भी श्रेया को होश नहीं आया। आज दो दिन हो गए थे ।डॉक्टर श्रेया की तरफ से निराश होते जा रहे थे। डॉक्टर साहब ने बहुत ही उदास मन से कहा- कि श्रेया को बचा पाना बहुत मुश्किल है। अब तो कुछ भगवान का चमत्कार हो जाए तो ही श्रेया को बचाया जा सकता है। इतना कहकर रक्षा पंडित जी के सामने फूट-फूट कर रोने लगी। पंडित जी! अब आप ही बताइए इसके लिए क्या उपाय किया जाए,क्या पूजा पाठ किया जाए, आप मुझे बताइए। रक्षा बोली भाभी को बचाने के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूं। भगवान मेरे प्राणों को ले ले, पर मेरी भाभी को बचा दे। ऐसा सुनते ही पंडित जी बोले, तुम अपनी भाभी से इतना प्यार करती हो। ननद भाभी का रिश्ता तो जगत में लड़ाई झगड़े का रिश्ता ही माना जाता है । परंतु तुम्हें देख कर तो ऐसा लगता है कि श्रेया तुम्हारी भाभी नहीं बहन हो। तब रक्षा बोली- पंडित जी मेरी भाभी है ही इतनी अच्छी। कि मैं उनके साथ एक सखी की तरह रहती हूं। वह मेरी सबसे अच्छी सखी है, भाभी तो रिश्ते में है फिर भी हम दोनों सहेलियों की तरह ही रहते हैं।

इतना सुनकर पंडित जी ने कहा- कि मुझे श्रेया और श्रवण की जन्म कुंडली चाहिए। मुझे इसका अध्ययन करना होगा। दोनों की कुंडलियों का अध्ययन करने के बाद ही मैं बता पाऊंगा, कि ग्रह दशा कैसे चल रहे हैं। ग्रह नक्षत्रों के आधार पर हमें कौन सा पूजा पाठ करना चाहिए। इतना सुनकर पिताजी उठे और उन्होंने श्रेया और श्रवन दोनों की कुंडली लाकर पंडित जी को दी। पंडित जी ने दोनों की कुंडली का गहन अध्ययन किया। काफी देर बाद पंडित जी कुछ बोलने की स्थिति में आए। रक्षा ने पूछा पंडित जी कुछ तो बोलिए, कुछ तो बताइए ।तब पंडित जी बोले- इनकी कुंडली में ग्रह नक्षत्र बहुत खराब चल रहे हैं। श्रेया की कुंडली पर कालसर्प योग है,जिसमें मृत्यु का योग होता है।श्रेया को बचाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का आयोजन करना। होगा भगवान भोलेनाथ बड़े दयालु है, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से श्रेया के प्राणों की रक्षा हो सकेगी। भगवान भोलेनाथ पर भरोसा रखो। महामृत्युंजय मंत्र पाठ की तैयारी करो। घर जा कर  मैं सामान की लिस्ट बनाकर भिजवा देता हूं। सारा सामान इकट्ठा हो जाने के बाद मुझे बताना। तब तक  मैं पांच और पंडितों की व्यवस्था करता हूं, फिर यह पाठ आपके घर पर ही शुरू करूंगा।

पाठ शुरू होने के बाद सात दिन तक चलेगा। पाठ चलते समय घर पर हर समय कम से कम एक व्यक्ति रहना जरूरी है। यह कहकर पंडित जी अपने घर को जाने लगे। दूसरे दिन पंडित जी ने सामान की लिस्ट भिजवा दी। और कहा- कि एक दिन में सामान इकट्ठा कर लो।अगले दिन से हम पाठ शुरू करेंगे। पंडित जी ने पांच पंडितों की व्यवस्था भी कर ली। जो महामृत्युंजय पाठ में सहभागी बनने वाले थे। अगले ही दिन रक्षा ने पिताजी के साथ बाजार जा कर सारा सामान इकट्ठा किया। सामान भी बहुत सारा था।और श्रेया को तो अपनी भाभी की चिंता लगी हुई थी। तो उसे तो यह सब करना ही था। रक्षा ने सारा सामान इकट्ठा करके पंडित जी को फोन किया और कहा- कि सामान मैंने जुटा लिया है अब आप कल सुबह आ करके महामृत्युंजय मंत्र का पाठ शुरू कीजिए। समान इकट्ठा करके और पंडित जी को सूचना देने के बाद रक्षा अस्पताल जाना चाहती थी। उसने पिताजी से अस्पताल जाने के लिए पूछा- पिताजी ने रक्षा को अस्पताल जाने की आज्ञा दे दी।और पिताजी भी श्रेया को देखने जाना चाहते थे, परंतु रक्षा ने कहा- पिताजी किसी एक को तो घर पर रहना जरूरी है। इसलिए मैं भाभी को देख कर आती हूं। और आकर आपको सब कुछ बताऊंगी। आप परेशान मत होइए, आप घर पर ही रहिए। यह कहकर रक्षा मां और भाई के लिए कुछ खाने पीने का सामान लेकर अस्पताल की ओर चल पड़ी।सड़क पर पहुंचकर उसने ऑटो लिया, और वह अस्पताल पहुंची।

अस्पताल पहुंचने पर रक्षा को पता चला। कि श्रेया की हालत में सुधार होने की बजाय और ज्यादा गंभीरता आती जा रही है। डॉक्टर अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं। परंतु कुछ भी उनको हासिल नहीं हो रहा है। घर वाले भी इन परिस्थितियों से बहुत परेशान थे। भगवान से प्रार्थना करने के अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं था।  रक्षा ने मां और भाई को बताया। कि वह कल से भाभी के लिए महामंत्र महामृत्युंजय का जाप शुरू करवा रही है। उसने इस पाठ की सभी व्यवस्था कर ली है, सामान जुटा लिया है और पंडित जी से बात कर ली है। अभी पाठ कल से शुरू होने वाला है। कल से शुरू होने वाली इस महामृत्युंजय मंत्र के जाप के बाद निश्चय ही भाभी ठीक हो जाएगी। रक्षा ने आई सी यू में जाकर श्रेया को देखा। श्रेया को देखते ही रक्षा का मन और उद्वेलित हो उठा और वह श्रेया की हालत देख कर फफक कर रो पड़ी। रक्षा के मुंह से अनायास ही निकल पड़ा।हे भगवान! मेरी भाभी.…....

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9 Comments

Chirag chirag

13-Sep-2022 05:10 PM

Very nice

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Palak chopra

12-Sep-2022 09:15 PM

Bahut khoob 💐👍

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Achha likha hai 💐

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